Posts

सच कहा तुमने

Image
सच कहा तुमने सच कहा तुमने उस कैदी की तऱ्हा ठूठ हो विवश होता देख मैने अपने हाथ खोले थे मुर्दा जिस्म में चरागा कर गयी थी कोई अंजान चाह रगो में तुफान लिए दौड पडा था खून सच कहा  तुमने उसे देखकर मेरे अंदर जंजिरो  के प्रति घृणा पैदा हुयी थी और इक स्थिती के दुसरे स्थिती में तबदील होने के बीच संक्रमण काल कि यातनाओ से मुझे भी गुजरना पडा था सच कहा तुमने नाली के बेहते पानी में पैर डालकर सुवर के बच्चो को निहारता कबसे मैं भी बच्चोसा बैठा रहा था कुछ पल सपनो का चांद मन में उतारे हुए सच कहा तुमने मंदीर के पीछे वाले कमरे के मलबेसे कोई शस्त्र धुंडने के फिराखं में मैने उसके  कटे हुए हाथो को छुआ था और कसके पकडा उन्हे अपनी मुठ्ठीयों के बिच और अंधेरे को चिरने के लिए फहराता रहा काली हवाओ  में काले घोडे पर सवार काला घुडसवार काला लिबास पहने हर बार बच निकलता हर वार खाली जाता हर बार इक थकान  मेरे जिस्म पर छाजाती सच कहा तुमने अंधेरे  चक्रव्यूव को तोडना मेरे जिंदा रहने कि शर्त थी तभी तो खुलना था सुबह के सुरज के लिए मार्ग तभी तो बूढी अम्मा की धुंधलायी आखोंमे चमकता सु

कवडसा

Image
कवडसा काळोखाच्या लडिवाळ ओंजळीतून,  एक कवडसा दारी आला,अन्  माझ्या मनाच्या त्याला हलकेच गोंजारून गेला जणू, सांगत होता," मी आहे" तुझ्या साठी त्याची सय घेऊन उजळ तो अंधार तू मला देवून साधना- देव